Wednesday, January 25, 2012

झा का मतलब क्या




एक दिन रोज की तरह मैं ऑफिस से घर गया तो मेरा बेटा कुछ नाराज सा बैठा हुआ था .



मैंने उससे पूछा : बेटा क्यों नाराज हो ?



पुत्र : पापा आज स्कूल में मुझे डाँट पड़ी . मैडम ने मेरे नाम का मतलब मुझसे पूछा तो मैं बता नहीं पाया . पापा आपने मुझे मेरे नाम का मतलब क्यों नहीं बताया ?



पिता : बेटा तुमने मुझे पूछा नहीं . तुम्हारे नाम आप्तकाम का मतलब होता है, वों जिसकी सारी ख्वाहिशें पूरी हो गयी हो .



पुत्र : ख्वाहिशें मतलब ?



पिता : इसका मतलब जो तुम्हे अच्छा लगता है .जैसे की तुम मिठाई चाहते हो .



पुत्र : लेकिन मैं तो स्पाइडर मैन भी चाहता हूँ . डोरेमन भी चाहता हूँ. तो फिर आपने मेरे नाम आप्तकाम क्यों रखा ?



पिता : ताकि बड़ा होकर तुम अपनी चाहतों से मुक्त हो सको .



पुत्र : तो क्या चाहतों से मुक्त होना अच्छी बात है ?



पिता : हाँ .



पुत्र : तो फिर आपने अपना नाम आप्तकाम क्यों नहीं रखा ?



पिता : क्योंकि मेरा नाम अजय अमिताभ सुमन तुम्हारे दादा जी ने रखा .



पुत्र : आपने अपना नाम खुद क्यों नहीं रखा ?



पिता : एक आदमी का नाम वों खुद नहीं रखता , उसके माँ बाप ही रखते है .



पुत्र : लेकिन दादाजी का नाम श्रीनाथ सिंह था , फिर लोग उन्हें आशावादी जी क्यों कहते है ?



पिता : क्योंकि तुम्हारे दादा जी कभी हार नहीं मानते .



पुत्र : तो उन्हें लोग श्रीनाथ सिंह के नाम से भी तो बुला सकते हैं .



पिता : हाँ लेकिन तुम्हारे दादाजी नहीं चाहते कि लोग उन्हें सिंह के नाम से पुकारे .



पुत्र : क्यों , सिंह का मतलब तो शेर होता है . इसमें बुरी बात क्या है ?



पिता : बेटा तुम्हारे दादाजी जाति प्रथा के विरुद्ध है , इसीलिए . सिंह शब्द हमारी राजपूत जाति को दिखाता है .



पुत्र : अच्छा इसीलिए आपने मेरा नाम आप्तकाम रखा है , आप्तकाम सिंह नहीं .



पिता : हाँ बेटा .



पुत्र : तो क्या राजपूत होना गन्दी बात है ?



पिता : बेटा ये तुम दादाजी से पूछ लेना .



पुत्र : नहीं पापा , मैन समझ गया , इसीलिए चाचाजी का नाम प्रीतम कौशिक है , क्योंकि वो अपनी जाति छुपाना चाहते है .



पिता : नहीं बेटा , कौशिक हमारी गोत्र है , इसीलिए नाम कौशिक रखा है .



पुत्र : तो क्या सारे राजपूत कौशिक है ?



पिता : नहीं , आप्तकाम अ़ब तुम चुप हो जाओ , पढाई लिखाई करो .



पुत्र : आप गंदे पापा है . आप मुझे समझाइए , ये गोत्र क्या चीज है ?



पिता : बेटा तुम अभी नहीं समझ पाओगे .


पुत्र : पापा आप मुझे कुछ नहीं बताते , मै फिर स्कूल में डांट खाऊंगा . राम त्रिवेदी कम डांट खाता है क्योकि उसके पापा उसको सबकुछ बताते है .



पिता : अच्छा पूछो , और क्या पूछना है ?



पुत्र : पापा त्रिवेदी का मतलब क्या होता है ?



पिता : बेटा जो तीनों वेदों को जनता हो .



पुत्र : वेद क्या चीज है .



पिता : मै बेटे के इतने सारे प्रश्न से झुंझला उठा था , फिर भी अच्छा पापा बनने के चक्कर में उत्तर देता जा रहा था .



पिता : बेटा वेद का मतलब बहुत अच्छी किताब .



पुत्र : तो क्या मेरी ए , बी , सी , डी  वाली किताब जैसी .

पिता : नहीं बेटा , ये बहुत बड़ी किताब है .



पुत्र : तो क्या राम त्रिवेदी बहुत बड़ी किताब को पढ़ रखा है ? 



पिता : नहीं बेटा , वों ब्राह्मण जाति का है , इसीलिए नाम त्रिवेदी रखा है .



पुत्र : तो क्या सारे ब्रह्मण त्रिवेदी नाम रखते है .



पिता : नहीं बेटा , त्रिवेदी का मतलब काफी पढ़ा लिखा होता है और लोग ये नाम रखते है , ताकि खूब पढ़े लिखें .



मेरे बेटे के प्रश्न खत्म होने का नाम हीं नहीं ले रहें थे , मै परेशान हो उठा था .



बेटे ने कहा : अच्छा इसका मतलब  पापा अच्छे अच्छे काम करने के लिए तो लोग अच्छे अच्छे नाम रखते हैं क्या ?



पिता : हाँ बेटा तुम तो होशियार हो . बिलकुल ठीक समझे .



पुत्र : हाँ पापा , पर मेरा दोस्त नीरज झा मुझसे पूछ रहा था कि झा का मतलब क्या होता है . पापा आप बताइए ना .



मैंने झुंझला कर बेटे को डाँट दिया , बोला ये बात में बताऊंगा .



सच तो ये है पाठकों मुझे भी ये नहीं पता कि झा का मतलब क्या ?



इसीलिए ये ब्लॉग लिख रहा हूँ , अब आप गुनी लोग ही मेरी मदद करें और मेरे बेटे को बताएं कि :-



झा का मतलब क्या ?





अजय अमिताभ सुमन

उर्फ

बेनाम कोहड़ाबाज़ारी

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