Tuesday, January 20, 2009

मेरी परिभाषा

प्यार करोगे
तो प्रेमी हूँ ,
गर दुलार
तो स्नेही हूँ ।

हताश हूँ
फटकार पे ,
निराश हूँ
दुत्कार पे ।

उपहास से हूँ
क्लेशग्रस्त ,
और परिहास से
द्वेषत्रस्त ।

नफरत
तिरस्कार का ,
इबादत
उपकार का ।

अनादर पे
रोष हूँ मैं ,
प्रसंशा पे
मदहोश हूँ मैं ।

हार का
संताप हूँ ,
जीत की
उल्लास हूँ ।

सम्मान हूँ
जहाँ आदर है ,
अभिमान हूँ
जहाँ सादर है ।

भरोसे का
विश्वास हूँ मैं ,
उत्साही की
आस हूँ मैं ।

भावों के संसार निरंतर
और इनके संप्रेषण ,
कर रहा परिलक्षित हूँ मैं
एक प्रतिबिंबित दर्पण ।


बेनाम कोहडाबाजारी
उर्फ़
अजय अमिताभ सुमन