Thursday, April 28, 2011

फूल से दुल्हिनियाँ अंगार बन जईहें



शेर : नारी जब सिंगार करे त फूल भी लजा जाला

नारी जब कठोर बने त पत्थर भी शरमा जाला
“आशावादी” कहे कि नारिये से युद्ध में
बड़े बड़े वीरन के पांव डगमगा जाला


गीत: जिनगी सवाँरेला अधिकार लेके रहिहें
फूल से दुल्हिनियाँ अंगार बन जईहें

मोम से मुलायम हई , पत्थर से कठोर हो
केहू खातिर अमृत हई, केहू खातिर जहर हो
बिगड़ल दुनिया ला ई माहूर बन जईहें
फूल से दुल्हिनियाँ अंगार बन जईहें


झाँसी के रानी के ई जान ताटे दुनिया
शान तुडली दुश्मन के मान ताटे दुनिया
झाँसी के रानी के अवतार बन जईहें
फूल से दुल्हिनियाँ अंगार बन जईहें


जगिहें बहिनियाँ त बड़ा उपकार होई
सचमुच में देश के आ घर के उद्धार होई
जे “आशावादी” के ई रहिया पे चलिहें
फूल से दुल्हिनियाँ अंगार बन जईहें




“श्रीनाथ आशावादी”