Saturday, January 3, 2009

खेतवा में रोएली जनानावा

खेतवा में रोएली जननवा ऐ मएनवा कहाँ रे गईले ना,

हमार आँखी के रतनावा कहाँ रे गईले ना.

बारी जनमवले उ तीन गो लइकवा .
तरसेले अन्न खातिर उ बलकावा .
बाटे टूटल फुटल फूस के मकनावा ऐ मएनवा की दुखवे में ना .
बीते जिनगी के दिनवा दुखवे में ना .
हमार आँखी के रतनावा कहाँ रे गईले ना.

घरवा में पड़ल रहे मरद बेरमिया .
दउवा ना उधार करे डाक्टर हरामिया .
मालिक से करजा लेके दवा दारू कईली .
मरल सवानगवा के परनवा बचईली .
पथ खातिर रहे नहीं अनवा ऐ मएनवा सावन अईसन ना .
बरसे झर झर नएनवा सावन अईसन ना .
हमार आँखी के रतनावा कहाँ रे गईले ना.

अन्न के बिना घरवा में बनेला भोजनवा.
खाए खातिर बिलखत रलेसन ललनवा.
ओकनी के आपन कलेजा से सटवली.
सुसुकत बालकन के रोवत समझइली.
होते भोरे करब कटनिया ऐ मएनवा करेजवा सुनु ना .
तोहके देहब हम भोजनवा करेजवा सुनु ना .
हमार आँखी के रतनावा कहाँ रे गईले ना.


खईला बिना छतिया में दुधवो ना आवे .
गोदी के बलकवा उ सुखले चबावे .
फटी जाइत छतिया त खुनवे पियाईती .
बिलखत लईकवा के क्षुधवा मिटईती .
इहे करे धनिया के मनवा ऐ मएनवा की पूरा ना होखे ना .
कभी मनवा के सपनवा पूरा ना होखे ना .
हमार आँखी के रतनावा कहाँ रे गईले ना.

बागवा में कोइल जब कुहू कुहू करे लागल .
चिरई चुरुनगावा के चह चह होखे लागल .
बीस दिन के बलकवा के गोदिया उठवली .
काटे खातिर गेहूंआ के खेतवा में गईली .
पेट खातिर सुख बा सपनवा देहिया में ना .
नईखे एको बूंद खुनावा देहिया में ना .
हमार आँखी के रतनावा कहाँ रे गईले ना.


बूंदा बूंदी होखे कभी बहेला पवनवा .
धनिया के दुख देखि रोए आसमनवा .
खेतवा के मोड़ पर लईका सुतवली .
फाटल गमछिया के देह पर ओढवली .
काटे कागली गेहुआ के थानवा ऐ मएनवा कमवे पर ना .
रहे धनिया के धेयनवा कमवे पर ना .
हमार आँखी के रतनावा कहाँ रे गईले ना.


एही बीचे बलकवा जोर से चिहुकलस .
सोचली की बाबु निनिये में सपनईलस .
काटके गेहुआ उ गोदिया उठावे .
गईली लईकवा के दुधवा पियावे.
करे लगली जोर से रोदनवा ऐ मएनवा की सियरा लेलस ना .
हमार बाबु के परनवा सियरा रे लेलस ना .
हमार आँखी के रतनावा कहाँ रे गईले ना.


रोअल सुनी गाव के लोग सबे जुटल .
कहे सब मजूरन के भाग बाटे फूटल .
बरकन लोगवन के देशवा में राज बा .
मेहनत मजूरी वाला ईहा मोहताज बा .
इहे ह आजाद हिन्दुस्तनवा ऐ मएनावा , केहू रे बाटे ना .
गरीब के भगवनवा केहू रे बाटे ना .
हमार आँखी के रतनावा कहाँ रे गईले ना.


श्रीनाथ आशावादी