मैंने पूछा
अपने गाँव कि बड़की माई से ,
कि
कैसे आप जिन्दा है
बिना पड़े ,
एक किताब भी .
तो उन्होंने कहा
ठीक वैसे ही ,
जैसे कि
तू जिन्दा है
बिना लिए
एक बीडी का एक कश भी.
बेनाम कोहडाबाजारी
उर्फे
जय अमिताभ सुमन
अपने गाँव कि बड़की माई से ,
कि
कैसे आप जिन्दा है
बिना पड़े ,
एक किताब भी .
तो उन्होंने कहा
ठीक वैसे ही ,
जैसे कि
तू जिन्दा है
बिना लिए
एक बीडी का एक कश भी.
बेनाम कोहडाबाजारी
उर्फे
जय अमिताभ सुमन