Friday, December 19, 2008

हालात



अच्छे हैं बुरे हैं , हालात आदमी के
दिन रात पड़े पीछे , हालात आदमी के

मिटटी से जो बना है , मिटटी में मिल जाएगा
हवा में उड़ते फिरेंगे , जर्रात आदमी के

रुखसत हुए तो जाना सब काम थे अधूरे
क्या क्या करे जहाँ में , दो हाथ आदमी के



सौजन्य


सुवर्ण राजन, अधिवक्ता