Wednesday, January 25, 2012

स्वामी अग्निवेश का साथ-कालिनेमी से मुलाकात




हमारे रामायण में ऐसा लिखा गया है कि जब राम और रावण की लड़ाई हो रही थी और मेघनाद ने लक्ष्मण को शक्ति से चोट पहुंचाई थी , तब संजीवनी बूटी ही लक्ष्मण के जीवन की अंतिम आशा थी . इस दुसाध्य कार्य को करने के लिए हनुमान जी हिमालय की तरफ चल पड़े. हनुमानजी को ये कार्य सूर्योदय से पहले करना था .



कालिनेमी राक्षस रावण का सम्बन्धी था . रावण के कहने पे कालिनेमी राक्षस हनुमान जी को रोकने के लिए संत का वेश बनाकर बैठ गया . उसने हनुमानजी से मीठी मीठी बातें की और हर संभव कोशिश की ताकि हनुमान जी सूर्योदय होने से पहले संजीवनी बूटी प्राप्त न कर सके . वो संत का वेश बनाकर संतो वाली बात कर रहा था ताकि किसी तरह हनुमानजी का कार्य पूर्ण न हो सके . आगे की कहानी ये है कि हनुमानजी को कालिनेमी राक्षस की सत्यता का पता चला और उन्होंने उसका वध कर दिया . अंतत्वोगत्वा हनुमान जी संजीवनी बूटी लाने में सफल भी हुए और लक्ष्मणजी का जीवन भी बचाया .



आज के हमारे राजनैतिक परिदृश्य में इस कहानी की प्रासंगिकता बन पड़ती है . भारतवर्ष के लिए ये दुर्भाग्यपूर्ण है की संसद के सदस्य संसद की गरिमा के अनुरूप काम नहीं कर रहें है . ये सांसदों की जिम्मेवारी बनती है कि वो जनता की भावना का सम्मान करते हुए जनता की हितों के अनुरूप कानून बनाएँ. परन्तु सांसदों को देश के बजाए अपनी चिंता है . यही कारण है कि अन्ना हजारे ने आज हनुमान जी जैसे  लक्ष्मण की तरह धराशाई हो चुकी भारतीय प्रजातान्त्रिक व्यवस्था को लोकपाल संजीदा संजीवनी बूटी दिलाने का बीड़ा उठाया है .



स्वामी अग्निवेश की वेश भूषा स्वामी विवेकानंद की याद दिलाती है . पर उनकी हरकत कुछ और हीं बयां करती है . टीम अन्ना का हर सदस्य ये कोशिश कर रहा है जनता  दिग्भ्रमित न हो जाएँ . लोकपाल के विरोधी इस आंदोलन को दिग्भ्रमित करने की हर संभव कोशिश कर रहें है. ये कोई जरूरी नहीं की टीम अन्ना के हर सदस्य अन्नाजी की तरह पाक साफ हो . इन परीस्थितियों में स्वामी अग्निवेश का टीम अन्ना से अलग हो जाना और फिर टीम अन्ना पर आक्रमण करना क्या साबित करता है . और तो और बिग बॉस जैसे टी वी सीरियल में सरीक होकर वो क्या साबित करना चाहते हैं . यदि अध्यात्मिक वेश भूषा धारण करते है , अध्यात्मिकता की बातें करते हैं तो उनसे ये अपेक्षा करना क्या गलत है कि काम भी वों संतो वाला ही करें ?



स्वामी अग्निवेश का नाम अब तक बड़ी इज्जत से लिया जाता रहा है. उनसे ये उम्मीद की जाती है कि कालिनेमी सरीखा आंदोलन को असफल बनाने वाला काम नहीं करें . ये कहा भी गया है नाम कमाने में सारी उम्र खप जाती है पर नाम खराब होने में दिन भी नहीं लगता .



उम्मीद है स्वामी अग्निवेश भारत को लोकपाल सा संजीवनी बूटी दिलाने में मदद करें न करें , इस पुनीत कार्य में बाधा पहुँचाने वाला काम जरूर नहीं करेंगे . अन्यथा कालिनेमी का नाम किस अदब से लिया जाता है , ये सबको पता है .



अजय अमिताभ सुमन

उर्फ

बेनाम कोहड़ाबाज़ारी

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