Wednesday, March 9, 2011

नशा-ए–मंजिल





















 ख्वाहिश-ए-मंजिल है जायज़ बेनाम , मजा तो तब है .

लुत्फ़-ए सफर में असर हो , नशा-ए–मंजिल का .



अजय अमिताभ सुमन
उर्फ
बेनाम कोहड़ाबाज़ारी