बेनाम कोहड़ाबाज़ारी
पिता श्रीनाथ आशावादी और पुत्र बेनाम कोहड़ाबाज़ारी की रचनाएँ.
Saturday, June 13, 2009
मरहूम
खुदा के दीदार से यूँ ही नहीं रहा वो मरहूम ,
तमाम उम्र गुजरी उसकी , छत उजाडने में , सवारने में ।
अजय अमिताभ सुमन
उर्फ़
बेनाम कोहडा बाजारी
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