Saturday, December 17, 2011

अन्ना हजारे और गीता


ये कोई ज़रूरी नही की अन्ना हज़ारेज़ी के साथ जुड़े सारे लोग सही हो . ये भी कोई ज़रूरी नही की सरकार के सारे लोग हीं बुरे हों. महाभारत के पांडव के साथ राक्षशी प्रवृति वाला घतोत्कच भी था, तो दुर्योधन की तरफ से दानवीर कर्ण , भीष्म पितामह और गुरु द्रोण भी थे.कृष्ण ने पांडवों का साथ दिया क्योंकि उनके लक्ष्य सही थे. गीता आज भी उतनी हीं प्रासंगिक है. आज अन्ना हज़ारेज़ी ने जो लक्ष्य चुना है वो बिल्कुल सही है . व्यवस्था से भ्रष्टाचार मिटाना हीं गीता का संदेश है. हर भारतीय का कर्तव्य बनता है कि भ्रष्टाचार उन्मूलन मे इस आंदोलन का सहयोग दे और देश की उन्नति का मार्ग प्रशस्त करें.



अजय अमिताभ सुमन

उर्फ
बेनाम कोहड़ाबाज़ारी

कबीर सरकार और मीडिया


सरकार  ने  हाल  में  ही  ये  घोषणा  की  है  कि  फेसबुक  और  गुगल  पर  सरकार के खिलाफ जनता  के जो आप्तिजनक विचार आ  रहें  है  , उनपर  नियन्त्रंण  रखने  के  बारे  में सोच  रही  है. 



इस  बात  पर  मुझे  संत  कबीर  की  वाणी  याद    रही  है .



कबीर  ने  कहा था:-



“निंदक  नियरे  राखिए ,  आँगन  कुटीर  छ्वाय,

बिन साबुन पानी बिना , निर्मल  होय  सुहाय “



अर्थात निंदा से घबराना नहीं चाहिए . निंदक के प्रति शुक्रगुजार होना चाहिए. निंदक हमें मौका देते हैं कि हम अपनी कमियों के प्रति जागरूक हो और इनसे मुक्त हो .



फेसबुक  और  गुगल  मीडिया के नए आयाम है जो कि इन्टरनेट युग के आगमन के कारण प्रतिफलित हुए है . अगर जनता  फेसबुक  और  गुगल  पर सरकार के खिलाफ आप्तिजनक  विचार  प्रस्तुत कर रही है तो सरकार को इससे सचेत हो जाना चाहिए .



मीडिया पर नियंत्रण  जनतंत्र पर आक्रमण है . जिस सरकार ने भी इस तरह कि जुर्रत की है , जनता ने सबक सिखया है .



सरकार ये क्यों नहीं समझती कि जनता नितीश कुमार के खिलाफ क्यों नहीं लिखती. मीडिया तो आइना है जनता के विचारों के सम्प्रेषण का . सरकार को फेसबुक  और  गुगल   का शुक्रगुजार होना चाहिए जो इन्हें जनता के फैसले के प्रति जागरूक बनाती है. आज  की जनता भ्रष्टाचार और बढती महंगाई से त्रस्त है . अपने विचारों के सम्प्रेषण अगर फेसबुक  और  गुगल पर कर रही है तो इसमें बुराई क्या है .



क्या हीं अच्छा होता अगर सरकार फेसबुक  और  गुगल   पर नियन्त्रंण रखने के बजाय भ्रष्टाचार पर नियन्त्रंण रखने के बारे में सोचती .





अजय अमिताभ सुमन

उर्फ

बेनाम कोहड़ाबाज़ारी