Saturday, September 22, 2012

वार्तालाप


विवाहित मित्र : घर जाने की इतनी जल्दी क्यों है , घर जाकर क्या करोगे ?

तलाक शुदा मित्र : तो तुम घर जाकर कर हीं क्या लेते हो ?



अजय अमिताभ सुमन
उर्फ
बेनाम कोहड़ाबाज़ारी

Tuesday, September 18, 2012

व्हाट ईज इण्डिया


इट इज ए डंपिंग यार्ड

 

व्हिच ईज ग्रोविंग

एंड ग्रोविंग

एंड ग्रोविंग

एंड ग्रोविंग

 

 

कंटीन्युसली

 

विथाउट एनी स्टॉप

 

 

अजय अमिताभ सुमन

उर्फ

बेनाम कोहड़ाबाज़ारी

Wednesday, September 12, 2012

तिवारीजी


 
हम तो रखे थे खुद को तन्हा ही मगर

डी.एन.ए. टेस्ट होते गए

और परिवार बढ़ता गया  

 

 

 

अजय अमिताभ सुमन

उर्फ

बेनाम कोहड़ाबाज़ारी

Monday, September 3, 2012

शुभकामनाएँ


भगवान आपको बीबी के झटकों से बचाये

और यदि झटका मिलता रहे

तो आपको झटका प्रूफ बनाये.

 

 

 

अजय अमिताभ सुमन

उर्फ

बेनाम कोहड़ाबाज़ारी

नाकाबिल


इश्क तेरा जायज़

पर प्यार के काबिल नहीं

दे ही क्या सकता मुझे

जखम के सिवा

 

 

 

अजय अमिताभ सुमन

उर्फ

बेनाम कोहड़ाबाज़ारी

 

 

खौफ


खौफ नहीं मुझे नीचे गिरने का

गहराई में जाने के लिए

उतरना ही पड़ता है

नीचे

जड़ की तरह

ताकि झेल सके वृक्ष

तूफान को  

 

खौफ तो होता है

पत्तियों को

ऊंचाई पर लहराने वालों को

कि हवा का एक झोंका आया

और बस.................................

 

 

 

अजय अमिताभ सुमन

उर्फ

बेनाम कोहड़ाबाज़ारी