Tuesday, January 6, 2009

छद्म

न्यायाधीश जैसे शब्दों का औचित्य
मृगमरीचिका कि भांति ही
अस्तित्व से परे है ।
क्योंकि
न्यायाधीश न्याय नहीं करते
बल्कि फैसले देते है ।



बेनाम कोहडा बाजारी
उर्फ़
अजय अमिताभ सुमन

पेट के दांत

हाथी तो मुफ्त ही में है बदनाम
अपने दो दो दांतों के वास्ते ।
आदमी के मुंह में तो क्या
पेट में भी दांत होते है ।


बेनाम कोहडाबाजारी

उर्फ़
अजय अमिताभ सुमन

अन्तर

तुझमे और अरुण जेटली में
फर्क इतना नही है
कि उसके सर में सिंग है ।

फर्क सिर्फ़ इतना है
की तुम हिल जाते हो
कोर्ट में खड़ा होने पे
और जेटली के खड़े होने पे
कोर्ट हिल जाती है ।

बेनाम कोह्डाबाजारी
उर्फ़्
अजय अमिताभ सुमन