Wednesday, March 2, 2011

सरकारी पोलिसी

















रिक्शेवाले से लाला पूछा
चलोगे क्या फरीदाबाद .
उसने बोला झटाक से उठकर
बिल्कुल तैयार हूँ भाई साब.


मैं तैयार हूँ भाई साब
की सामान क्या है तेरे साथ ?
तोंद उठाकर लाला बोला
आया तो मैं खाली हाथ .


आया तो मैं खाली हाथ
की साथ मेरे घरवाली है .
और देख ले पीछे भैया
वो हथिनी मेरी साली है .


वो हथिनी मेरी साली है
कि क्या लोगे किराया ?
देख के तीनों लाला हाथी
रिक्शा भी चकराया.


रिक्शावाला बोला पहले
आजम लूँ अपनी ताकत .
दुबला पतला चिरकूट मैं तुम
तीनों के तीनों आफत .


तीनों के तीनों आफत पहले
बैठो तो इस रिक्शे पर
जोर लगा के देखूं मैं फिर
चल पाता है रिक्शा घर ?


चल पाता है रिक्शा घर
कि जब उसने जोर लगाया .
टूनटूनी कमर वजनी रिक्शा
चर चर चर चर चर्राया .


रिक्शा चर मर चर्राया
कि रोड ओमपुरी गाल
डगमग डगमग रिक्शा डोले
हुआ बहुत ही बुरा हाल.


हुआ बहुत ही बुरा हाल
कि लाला ने जोश जगाया .
ठम ठोक ठेल के रिक्शे ने
तो परबत भी झुठलाया .




परबत भी को झुठलाया
कि क्या लोगे पैसा बोलो ?
गस खाके बोला फिर रिक्शा
दे दो दस रूपये किलो .


दो दस रूपये किलो लाला
बोला समझा क्या सब्जी
मैं लाला इंसान हूँ भाई
साली और मेरी बीबी .


साली और मेरी बीबी
फिर बोला वो रिक्शेवाला .
ये तोंद नहीं मशीन है भैया
सबकुछ पचनेवाला .


सबकुछ पचनेवाला भाई
आलू बैगन टमाटर
कहाँ लिए डकार अभीतक
कटहल मुर्गे खाकर .


कटहल मुर्गे खाकर कि
सरकारी अजब किराया है .
शेखचिल्ली के रूपये दस
और दस हाथी का भी भाड़ा है ?


अँधेरी है नगरी भैया
और चौपट करार है.
एक तराजू हाथी,चीलर
तौले ये सरकार है .


एक आंख से देखे तौले
सबको अजब बीमार है .
इसी पोलिसी का अ़ब तक
रिक्शेवाला शिकार है .








अजय अमिताभ सुमन
उर्फ
बेनाम कोहड़ाबाज़ारी