Tuesday, March 6, 2012

गधे आदमी नहीं होते




गधे आदमी नहीं होते 



क्योंकि दांत से घास खाता है ये

दांते निपोर नहीं सकता



आँख से देखता है ये 

आँखे दिखा नहीं सकता



गधा अपना मन नहीं बदलता  



हालत बदलने पे आदमी की तरह

रंग नहीं बदलता



खुश होने पे मालिक के सामने दुम हिलाता है

औरो पे हँसता नहीं



भूख लगने पे ढेंचू ढेंचू करता है

औरों की चुगली करता नहीं 



दुलत्ती मरता है चोट लगने पे

लंगड़ी नहीं मारता 



दिखाने के लिए नहीं काम नहीं करता

काम से टंगड़ी नहीं झारता



औरों के मुकाबले ज्यादा वजन ढोये  

तो इसे जलन नहीं होती



अगर दूसरे गधे आराम फरमाते है 

तो इसे कुढन नहीं होती



गधों को आदमी की तरह पेट के दांत नहीं होते



गधे गधे होते है 

आदमी की तरह बंद किताब नहीं होते





इसीलिए गधे आदमी नहीं होते









अजय अमिताभ सुमन

उर्फ

बेनाम कोहड़ाबाज़ारी