Thursday, February 24, 2011

तर्जुबा

तर्जुबा-ए-जिंदगी कुछ और नहीं दोस्तों
मासूमियत-ए-बचपन के खोने का नाम है .



अजय अमिताभ सुमन
उर्फ
बेनाम कोहड़ाबाज़ारी

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