अदा भी सनम के , क्या खूब है खुदा मेरे ।
लेके दिल पूछते है , क्या दिल से चाहता हूँ ।
जो दिल ही दे दिया है , तो दिल की इस बात को ।
दिल से जताउन कैसे , की दिल से चाहता हूँ ।
ये दिल जो ले गए हो , दिमाग भी ले जाओ ।
मेरी जमीं तुम्हारी , आकाश भी ले जाओ ।
फिदा थे तुमपे पहले , फिदा है तुमपे अब तक ।
और कहूँ क्या तुमसे , क्या कहना चाहता हूँ ।
बस इसी जनम की , नही है मुझको चाहत ।
लगता है ऐसा मुझको, सदियों से चाहता हूँ ।
तू समां जाए मुझमे , मैं समां जाऊँ तुझमे ।
बस इतना चाहता हूँ , बस इतना चाहता हूँ ।
बेनाम कोहडाबाजारी
उर्फ़
अजय अमिताभ सुमन
achcha likhtey hain aap.
ReplyDeleteAjay ji,blogvani-chitthajagat sites -blog agregratter hain--wahan apna blog dakhil kareeye--tabhi aap jyada se jyada logon tak apni rachnayen pahuncha sakengey--thanks-alpana