Monday, December 29, 2008

विस्मरण




याद करने की हद से गुजर जाता है , जैसे याद कोई ।
इश्क ठीक वैसे ही , आज मेरे जेहन में शामिल है ।




उर्फ़

अजय अमिताभ सुमन

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