अंगना में सोना जइसन उतरल किरिनिया की ।
देखि जिया हुलसेला मोर , कि देखि जिया हुलसेला मोर ।
कुहू कुहू कुहुकेले , काली रे कोइलिया
काली रे कोइलिया ।
मह मह महकेला , आम के मंजरिया
आम के मंजरिया ।
रस रस टपकेला , महुआ जे गछिया कि
बिनत में होखे लागल भोर , कि बिनत में होखे लागल भोर ।
गेंदवा के फुलवा से सोनवा लाजाइल
रहर के छिमिया में दाना भर आइल
दाना भर आइल ।
झुकी झुकी हँसे लागल तिसिया सहेलिया , की चिरई मचावे लागल शोर ।
की चिरई मचावे लागल शोर ।
पानी खतिर ईनरा पर , जुटे सब गोरिया
जुटे सब गोरिया
सर पे गगरिया और लचके कमरिया लचके कमरिया
झूमी झूमी चले सब लेके गगरिया , की फहरेला सरिया के कोर
की फहरेला सरिया के कोर ।
धरती के हरिहर सजल चुनरिया
आइल बसंत ऋतू महकल डगरिया , माहकल डगरिया
आशावादी ऋतुराज खुसिएसे छिरकेले , फूल के पराग चारो ओर ।
श्रीनाथ आशावादी
देखि जिया हुलसेला मोर , कि देखि जिया हुलसेला मोर ।
कुहू कुहू कुहुकेले , काली रे कोइलिया
काली रे कोइलिया ।
मह मह महकेला , आम के मंजरिया
आम के मंजरिया ।
रस रस टपकेला , महुआ जे गछिया कि
बिनत में होखे लागल भोर , कि बिनत में होखे लागल भोर ।
गेंदवा के फुलवा से सोनवा लाजाइल
रहर के छिमिया में दाना भर आइल
दाना भर आइल ।
झुकी झुकी हँसे लागल तिसिया सहेलिया , की चिरई मचावे लागल शोर ।
की चिरई मचावे लागल शोर ।
पानी खतिर ईनरा पर , जुटे सब गोरिया
जुटे सब गोरिया
सर पे गगरिया और लचके कमरिया लचके कमरिया
झूमी झूमी चले सब लेके गगरिया , की फहरेला सरिया के कोर
की फहरेला सरिया के कोर ।
धरती के हरिहर सजल चुनरिया
आइल बसंत ऋतू महकल डगरिया , माहकल डगरिया
आशावादी ऋतुराज खुसिएसे छिरकेले , फूल के पराग चारो ओर ।
श्रीनाथ आशावादी
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