Saturday, December 17, 2011

कबीर सरकार और मीडिया


सरकार  ने  हाल  में  ही  ये  घोषणा  की  है  कि  फेसबुक  और  गुगल  पर  सरकार के खिलाफ जनता  के जो आप्तिजनक विचार आ  रहें  है  , उनपर  नियन्त्रंण  रखने  के  बारे  में सोच  रही  है. 



इस  बात  पर  मुझे  संत  कबीर  की  वाणी  याद    रही  है .



कबीर  ने  कहा था:-



“निंदक  नियरे  राखिए ,  आँगन  कुटीर  छ्वाय,

बिन साबुन पानी बिना , निर्मल  होय  सुहाय “



अर्थात निंदा से घबराना नहीं चाहिए . निंदक के प्रति शुक्रगुजार होना चाहिए. निंदक हमें मौका देते हैं कि हम अपनी कमियों के प्रति जागरूक हो और इनसे मुक्त हो .



फेसबुक  और  गुगल  मीडिया के नए आयाम है जो कि इन्टरनेट युग के आगमन के कारण प्रतिफलित हुए है . अगर जनता  फेसबुक  और  गुगल  पर सरकार के खिलाफ आप्तिजनक  विचार  प्रस्तुत कर रही है तो सरकार को इससे सचेत हो जाना चाहिए .



मीडिया पर नियंत्रण  जनतंत्र पर आक्रमण है . जिस सरकार ने भी इस तरह कि जुर्रत की है , जनता ने सबक सिखया है .



सरकार ये क्यों नहीं समझती कि जनता नितीश कुमार के खिलाफ क्यों नहीं लिखती. मीडिया तो आइना है जनता के विचारों के सम्प्रेषण का . सरकार को फेसबुक  और  गुगल   का शुक्रगुजार होना चाहिए जो इन्हें जनता के फैसले के प्रति जागरूक बनाती है. आज  की जनता भ्रष्टाचार और बढती महंगाई से त्रस्त है . अपने विचारों के सम्प्रेषण अगर फेसबुक  और  गुगल पर कर रही है तो इसमें बुराई क्या है .



क्या हीं अच्छा होता अगर सरकार फेसबुक  और  गुगल   पर नियन्त्रंण रखने के बजाय भ्रष्टाचार पर नियन्त्रंण रखने के बारे में सोचती .





अजय अमिताभ सुमन

उर्फ

बेनाम कोहड़ाबाज़ारी



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