Tuesday, January 27, 2009

हाय रे टेलीफोन

टिकट के वास्ते सिनेमाहाल को , लगाया मैंने फ़ोन ।
बजी घंटी ट्रिंग ट्रिंग तो पूछा है भाई कौन ।

पूछा है भाई कौन कि तीन सीट क्या खाली है ।
मैं हूँ मेरी बीबी है और साथ में साली है ।

उसने कहा तीन सीट कि क्या करते है हिसाब ।
पुरी जगह ही खाली है, सपरिवार आइये जनाब ।

मैंने पूछा किस जगह से बोल रहे हो श्रीमान ।
उसने कहा मैं भुत हूँ , घर मेरा शमशान ।

हाय रे टेलीफोन , ये कैसी तेरी माया ।
देखना था चलचित्र , तुने शमशान पहुँचाया ।

बेनाम कोंहड़ाबाजारी
उर्फ़
अजय अमिताभ सुमन

No comments:

Post a Comment