प्यार करोगे
तो प्रेमी हूँ ,
गर दुलार
तो स्नेही हूँ ।
हताश हूँ
फटकार पे ,
निराश हूँ
दुत्कार पे ।
उपहास से हूँ
क्लेशग्रस्त ,
और परिहास से
द्वेषत्रस्त ।
नफरत
तिरस्कार का ,
इबादत
उपकार का ।
अनादर पे
रोष हूँ मैं ,
प्रसंशा पे
मदहोश हूँ मैं ।
हार का
संताप हूँ ,
जीत की
उल्लास हूँ ।
सम्मान हूँ
जहाँ आदर है ,
अभिमान हूँ
जहाँ सादर है ।
भरोसे का
विश्वास हूँ मैं ,
उत्साही की
आस हूँ मैं ।
भावों के संसार निरंतर
और इनके संप्रेषण ,
कर रहा परिलक्षित हूँ मैं
एक प्रतिबिंबित दर्पण ।
बेनाम कोहडाबाजारी
उर्फ़
अजय अमिताभ सुमन
तो प्रेमी हूँ ,
गर दुलार
तो स्नेही हूँ ।
हताश हूँ
फटकार पे ,
निराश हूँ
दुत्कार पे ।
उपहास से हूँ
क्लेशग्रस्त ,
और परिहास से
द्वेषत्रस्त ।
नफरत
तिरस्कार का ,
इबादत
उपकार का ।
अनादर पे
रोष हूँ मैं ,
प्रसंशा पे
मदहोश हूँ मैं ।
हार का
संताप हूँ ,
जीत की
उल्लास हूँ ।
सम्मान हूँ
जहाँ आदर है ,
अभिमान हूँ
जहाँ सादर है ।
भरोसे का
विश्वास हूँ मैं ,
उत्साही की
आस हूँ मैं ।
भावों के संसार निरंतर
और इनके संप्रेषण ,
कर रहा परिलक्षित हूँ मैं
एक प्रतिबिंबित दर्पण ।
बेनाम कोहडाबाजारी
उर्फ़
अजय अमिताभ सुमन
बहुत ही सुंदर कविता लिखी है आपने,
ReplyDeleteकाफी कुछ वयक्त कर दिया है शब्दों के माध्यम से
काफ़ी समय के बाद हिन्दी कविता पढने को मिली अच्छा लगा,
कुछ कविताये मैंने भी लिखी है
पढ़ कर बताइयेगा कैसे लगी
वाह भाई अमिताभ जी वाह भावनाओं में बहा ले गई आपकी कविता।
ReplyDeleteभरोसे का
ReplyDeleteविश्वास हूँ मैं ,
उत्साही की
आस हूँ मैं ।
bahut sunder rachana
Amitabh ji,
ReplyDeleteachchhee,bhavnatmak,kasee hui rachana ke liye badhai.mere blog sadasya banane ke liye dhanyavad.