अच्छे हैं बुरे हैं , हालात आदमी के
दिन रात पड़े पीछे , हालात आदमी के
मिटटी से जो बना है , मिटटी में मिल जाएगा
हवा में उड़ते फिरेंगे , जर्रात आदमी के
रुखसत हुए तो जाना सब काम थे अधूरे
क्या क्या करे जहाँ में , दो हाथ आदमी के
सौजन्य
सुवर्ण राजन, अधिवक्ता
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