सरकार ने हाल में ही ये घोषणा की है कि फेसबुक और गुगल पर सरकार के खिलाफ जनता के जो आप्तिजनक विचार आ रहें है , उनपर नियन्त्रंण रखने के बारे में सोच रही है.
इस बात पर मुझे संत कबीर की वाणी याद आ रही है .
कबीर ने कहा था:-
“निंदक नियरे राखिए , आँगन कुटीर छ्वाय,
बिन साबुन पानी बिना , निर्मल होय सुहाय “
अर्थात निंदा से घबराना नहीं चाहिए . निंदक के प्रति शुक्रगुजार होना चाहिए. निंदक हमें मौका देते हैं कि हम अपनी कमियों के प्रति जागरूक हो और इनसे मुक्त हो .
फेसबुक और गुगल मीडिया के नए आयाम है जो कि इन्टरनेट युग के आगमन के कारण प्रतिफलित हुए है . अगर जनता फेसबुक और गुगल पर सरकार के खिलाफ आप्तिजनक विचार प्रस्तुत कर रही है तो सरकार को इससे सचेत हो जाना चाहिए .
मीडिया पर नियंत्रण जनतंत्र पर आक्रमण है . जिस सरकार ने भी इस तरह कि जुर्रत की है , जनता ने सबक सिखया है .
सरकार ये क्यों नहीं समझती कि जनता नितीश कुमार के खिलाफ क्यों नहीं लिखती. मीडिया तो आइना है जनता के विचारों के सम्प्रेषण का . सरकार को फेसबुक और गुगल का शुक्रगुजार होना चाहिए जो इन्हें जनता के फैसले के प्रति जागरूक बनाती है. आज की जनता भ्रष्टाचार और बढती महंगाई से त्रस्त है . अपने विचारों के सम्प्रेषण अगर फेसबुक और गुगल पर कर रही है तो इसमें बुराई क्या है .
क्या हीं अच्छा होता अगर सरकार फेसबुक और गुगल पर नियन्त्रंण रखने के बजाय भ्रष्टाचार पर नियन्त्रंण रखने के बारे में सोचती .
अजय अमिताभ सुमन
उर्फ
बेनाम कोहड़ाबाज़ारी
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