ये कोई ज़रूरी नही की अन्ना हज़ारेज़ी के साथ जुड़े सारे लोग सही हो . ये भी कोई ज़रूरी नही की सरकार के सारे लोग हीं बुरे हों. महाभारत के पांडव के साथ राक्षशी प्रवृति वाला घतोत्कच भी था, तो दुर्योधन की तरफ से दानवीर कर्ण , भीष्म पितामह और गुरु द्रोण भी थे.कृष्ण ने पांडवों का साथ दिया क्योंकि उनके लक्ष्य सही थे. गीता आज भी उतनी हीं प्रासंगिक है. आज अन्ना हज़ारेज़ी ने जो लक्ष्य चुना है वो बिल्कुल सही है . व्यवस्था से भ्रष्टाचार मिटाना हीं गीता का संदेश है. हर भारतीय का कर्तव्य बनता है कि भ्रष्टाचार उन्मूलन मे इस आंदोलन का सहयोग दे और देश की उन्नति का मार्ग प्रशस्त करें.
अजय अमिताभ सुमन
उर्फ
बेनाम कोहड़ाबाज़ारी
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