इस दहेज ज्वाला में कितनी सीताएँ जलती रहतीं .
हाए रे दुनिया, हाए रे मानव , हाए रे भारत की धरती.
बेटी वाला मांग करे तो बेटी बेचवा कहते हो .
पर बेटे जो बेचा करते , मान-प्रतिष्ठा देते हो .
विपरीत धार में पता नहीं क्यों , गंगाजी हैं बहती .
हाए रे दुनिया, हाए रे मानव , हाए रे भारत की धरती.
कागज के नोटों आदि से कहाँ किसी का मन भरता है .
हाए रे दुनिया, हाए रे मानव , हाए रे भारत की धरती.
पोथी गणना और लग्न से सज धज शादी होती है .
गणपति शिवजी देवगान से कन्या पूजित होती है .
देव न कोई रक्षा करता , बहुएँ हैं जलती रहती .
हाए रे दुनिया, हाए रे मानव , हाए रे भारत की धरती.
राजा राममोहन की धरा पे , यूँ बहुएँ हैं जलती क्यों .
दुःख की बदली नित इनकी आँखों में छाई रहती क्यों .
उस समय जलती थी विधवा , इस समय सधवा जलती .
हाए रे दुनिया, हाए रे मानव , हाए रे भारत की धरती.
ओ भाई ओ बहन माताओं , आओ नूतन रह अपनाएँ.
“श्रीनाथ आशावादी” कहते , घर घर में अलख जगाएँ.
सामाजोध्हार संघ चीख रहा है , क्यों बहनें घुटती रहती .
हाए रे दुनिया, हाए रे मानव , हाए रे भारत की धरती.
“श्रीनाथ आशावादी”
हाए रे दुनिया, हाए रे मानव , हाए रे भारत की धरती.
बेटी वाला मांग करे तो बेटी बेचवा कहते हो .
पर बेटे जो बेचा करते , मान-प्रतिष्ठा देते हो .
विपरीत धार में पता नहीं क्यों , गंगाजी हैं बहती .
हाए रे दुनिया, हाए रे मानव , हाए रे भारत की धरती.
कागज के नोटों आदि से कहाँ किसी का मन भरता है .
ईख पेर कर रस चुसता जो , जैसे ही वो करता है .
एक नहीं लाखों सीताएँ घुट घुट कर मरा करती .हाए रे दुनिया, हाए रे मानव , हाए रे भारत की धरती.
पोथी गणना और लग्न से सज धज शादी होती है .
गणपति शिवजी देवगान से कन्या पूजित होती है .
देव न कोई रक्षा करता , बहुएँ हैं जलती रहती .
हाए रे दुनिया, हाए रे मानव , हाए रे भारत की धरती.
राजा राममोहन की धरा पे , यूँ बहुएँ हैं जलती क्यों .
दुःख की बदली नित इनकी आँखों में छाई रहती क्यों .
उस समय जलती थी विधवा , इस समय सधवा जलती .
हाए रे दुनिया, हाए रे मानव , हाए रे भारत की धरती.
ओ भाई ओ बहन माताओं , आओ नूतन रह अपनाएँ.
“श्रीनाथ आशावादी” कहते , घर घर में अलख जगाएँ.
सामाजोध्हार संघ चीख रहा है , क्यों बहनें घुटती रहती .
हाए रे दुनिया, हाए रे मानव , हाए रे भारत की धरती.
“श्रीनाथ आशावादी”
La-Jabab...
ReplyDeleteSayad kuchh aakhe khol de !!
dhanyawaad
ReplyDelete