बेनाम कोहड़ाबाज़ारी
पिता श्रीनाथ आशावादी और पुत्र बेनाम कोहड़ाबाज़ारी की रचनाएँ.
Tuesday, March 22, 2011
जनम जनम का साथी
बस एक बार मेरा कहा मान लीजिये.
इस अंजुमन आना है आपको मेरे पास.
मरते दम छूटेगा ना तेरा मेरा साथ.
दीवारों दर को जरा पहचान लीजिये.
बस एक बार मेरा कहा मान लीजिये
.
अजय अमिताभ सुमन
उर्फ़
बेनाम कोहड़ाबाजारी
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment